Software क्या है? | सॉफ्टवेयर कैसे बनता है ? | और कितने प्रकार का होता है ?
अगर आप जानना चाहते है की सॉफ्टवेर क्या है ? और कैसे बनता है तो आप को इस लेख में सरल तरीके से हिंदी में बताया गया है | अगर अप पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप इस पुरे लेख को ध्यान से पढ़े |
डेटा या प्रोग्राम का एक सेट होता है जो कंप्यूटर को संचालित करने और
विशिष्ट कार्यों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है हार्डवेयर जो कंप्यूटर के
भौतिक पहलुओं का वर्णन करता है। इसके उल्टा सॉफ्टवेयर एक सामान्य शब्द है जिसका
उपयोग किसी डिवाइस पर चलने वाले ऐप्लिकेशन, स्क्रिप्ट और प्रोग्राम को इंडिकेट
करने के लिए किया जाता है।
सॉफ्टवेर शब्द सुनते ही कई बार दिमाग में एक सवाल जरूर आता है कि
सॉफ्टवेयर कैसे बनता है और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की प्रक्रिया क्या होती है तो आज के इस लेख में सॉफ्टवेयर कैसे बनाते है और उसे बनाते वक्त किन किन बातों का ध्यान
रखना पड़ता है, इन सब के बारे में बताया गया है तो अगर आपको सॉफ्टवेयर सही तरीके से
बिना किसी गलती के बनाना है तो इस लेख को पर ध्यान से पढ़ें
आप सॉफ्टवेयर के बारे में जानने से पहले आपको ये
समझना होगा कि कंप्यूटर क्या है? क्योंकि सभी सॉफ्टवेयर कंप्यूटर पर
चलने के लिए बनाए जाते हैं। इसीलिए चलिए एक नजर कंप्यूटर पर डाल लेते हैं।
अगर बिल्कुल साधारण भाषा में बताए तो कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है
जो इनपुट लेता है उसे प्रोसैस करता है और आउटपुट देता है कंप्यूटर को अच्छे से
समझने के लिए एक उदाहरण दे मान ले की आप एम एस वर्ड का उपयोग करके एक डॉक्यूमेंट
बना रहे हैं यहाँ एमएस वर्ड सॉफ्टवेयर है और हम कीबोर्ड से इनपुट देते हैं। इस
इनपुट को कंप्यूटर प्रोसेसर करता है, जिसके बाद पर आउटपुट दिखाई देता है।
अब आपको ये तो पता चल गया कि कंप्यूटर इनपुट कैसे लेता है, फिर से प्रोसेसर
करता है और आउटपुट देता है, लेकिन इस पूरे कार्य के लिए जो एक फाइल बना रहा है उसके लिए हमें
एमएस वर्ड जैसे सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है। इससे आपको यह समझ में आ गया होगा कि
हमें कंप्यूटर पर कार्य करने के लिए सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है।
सॉफ्टवेयर क्या होता है? सॉफ्टवेयर एक
इन्स्ट्रक्टर है, जो कंप्यूटर को विशिष्ट कार्यों को करने के लिए इन्स्ट्रक्शन्स देता
है। इन्स्ट्रक्शन्स के इस सेट को एक प्रोग्राम के रूप में भी जाना जाता है। यह
सॉफ्टवेर जो कंप्यूटर पर चल रहे हैं बाइनरी कोड 120 के रूप में होते
हैं।लेकिन के रूप में सॉफ्टवेर लिखना असंभव और थकाऊ है। इसलिए इंजीनियरों ने कई
सारे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे सी, सी, प्लस प्लस, जावा, पाइथन आदि को
बनाया। कभी कभी दो या दो से अधिक लैंग्वेजेस का उपयोग एक विशेष सॉफ्टवेयर बनाने के
लिए किया जाता है।
सोफ्टवेयर कैसे बनता है ?
किसी भी प्रोग्राम को किसी भी लैंग्वेज का उपयोग
करते हुए लिखा जा सकता है जो किसी भी इंसान के समझ में आ जाती है जिससे
प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी होती है। इसे सोर्स कोड कहा जाता है और
कम्पाइलिंग प्रोसैस की सहायता से इस सोर्स कोड को बनाने के बाद एग्जिक्यूटिव बल
फाइल में बदल दिया जाता है। कोई भी सिंपल प्रोग्राम एक डेवलपर द्वारा उचित समय में
देखा जा सकता है। हालांकि पेशेवर सॉफ्टवेयर में सैकड़ों डेवलपर्स शामिल हो सकते
हैं। एक बड़े सॉफ्टवेयर को या हजारों फ़ाइलों में विभाजित किया जाता है।
सॉफ्टवेर डेवलपर अपने सॉफ्टवेयर पर कड़ी मेहनत
करते हैं, लेकिन कोर्ट के साथ हमेशा कुछ समस्याएं होती है और हम इन समस्याओं को
कहते हैं। सॉफ्टवेयर का एक हिस्सा पब्लिक के लिए जाने के बाद भी सॉफ्टवेयर
डेवलपर्स को बख्श को ठीक करना जारी रखना होता है और सॉफ्टवेर को और बेहतर बनाना
होता है। यही कारण है कि सॉफ्टवेयर में समय समय पर अपडेट या नए संस्करण आते रहते
हैं। सॉफ्टवेयर को दो अलग अलग तरीकों से बनाया जा सकता है औरओपन सोर्स नंबर वन
प्रोपराइटरी किसी इंसान या सॉफ्टवेयर कंपनी के स्वामित्व वाला सॉफ्टवेयर बेचने के
लिए बनाया जाता है।
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इसके सोर्स को पब्लिक के लिए जारी नहीं किए जाते
हैं। केवल सॉफ्टवेयर जारी किया जाता है। सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, पर मेरे को
प्रोग्रामिंग में कुछ नॉलेज नहीं था, पर आज में चार महीनों में ही एक के
साथ हमेशा कुछ समस्याएं होती है और हम इन समस्याओं को बख्श कहते हैं। सॉफ्टवेयर का
एक हिस्सा पब्लिक के लिए जारी किए जाने के बाद भी सॉफ्टवेयर डेवलपर्स को बख्श को ठीक करना जारी रखना होता है इसके सोर्स को पब्लिक के लिए जारी नहीं किए
जाते हैं। केवल सॉफ्टवेयर जारी किया जाता है।
2. ओपन सोर्स ऐसे सॉफ्टवेयर फ्री होते हैं, जिसके सोर्स कोड
को कोई भी ऐक्सेस कर सकता है। ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर मालिको को डोनेशन के माध्यम से
पैसा मिलता है।
सॉफ्टवेयर कितने प्रकार के होते है ?
1.ऐप्लिकेशन सॉफ्टवेर ऐसे सॉफ्टवेयर जो यूजर के काम आता है। उदाहरण के लिए एमएस वर्ड, फायर फॉक्स आदि
ऐप्लिकेशन सॉफ्टवेर वो होता है जो कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग विशेष कार्यों को करने
के लिए करता है।या कंप्यूटर के मूल संचालन से परे एंटरटेनमेंट कराता है आप क्योंकि
मॉडर्न एज में कंप्यूटर से किए जाने वाले कामों में कई सारे काम और जुड़ गए हैं तो
आप कई अलग अलग तरह के ऐप्लिकेशन सॉफ्टवेर बन रहे है।
2. सिस्टम सॉफ्टवेर ऐसे सॉफ्टवेयर है जो सिस्टम या कंप्यूटर पर काम
करता है। उदाहरण के लिए बस ड्राइव फॉर वाइरस इत्यादि। सिस्टम सॉफ्टवेयर वो होते
हैं जो कंप्यूटर के हार्डवेयर को मैनेज करता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर ऐप्लिकेशन
सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए भी डिजाइन किया जाता है, जैसे ऑपरेटिंग
सिस्टम डिवाइस ड्राइवर, यूटिलिटी आदि होता है |
आप एक सॉफ्टवेयर कैसे बना सकते हैं। ?
1.अपना इन्ट्रेस्ट ढूंढे सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की दो बेसिक टाइप होते
हैं जो की हमने अभी आपको बताया एक तो होता है ऐप्लिकेशन डेवलपमेंट और दूसरा होता
है सिस्टम डेवलपमेंट। तो आपको पहले ये डिसाइड करना होगा कि आपको कौन से टाइप का
सॉफ्टवेर बनाना है या आपकी रूचि किस तरह के सॉफ्टवेयर में है।
2.एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखें कुछ नया करने के लिए कुछ नया बनाने
की आइडियास तो किसी के भी दिमाग में आ सकते हैं, लेकिन उन आइडियाज़ को एक डाल पर ही
मूर्त रूप दे पाता है। यहाँ तक कि अगर आप सिर्फ सॉफ्टवेयर के डिजाइन पहलुओं पर काम
करना चाहते हैं तो भी आपको कोडिंग से परिचित होना पड़ेगा और बेसिक प्रोटोटाइप बनाने
में सक्षम होना पड़ेगा। बहुत सारे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज मौजूद हैं जिनमें से आप
कोई सा भी सीख सकते हैं।
इनमें से कुछ इम्पोर्टेन्ट है।
1. सी सी लैंग्वेज अभी भी उपयोग में आने वाली पुरानी भाषाओं में से
एक है और ज्यादातर भाषाओं का आधार है। सी का उपयोग लो लेवल प्रोग्राम्स को करने के
लिए किया जाता है।
2. सी प्लस प्लस। एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखें कुछ नया करने के
लिए कुछ नया बनाने की आइडियास तो किसी के भी दिमाग में आ सकते हैं लेकिन उन
आइडियाज़ को एक डाल पर ही मूर्त रूप दे पाता है। यहाँ तक कि अगर आप सिर्फ सॉफ्टवेयर
के डिजाइन पहलुओं पर काम करना चाहते हैं तो भी आपको कोडिंग से परिचित होना पड़ेगा
और बेसिक प्रोटोटाइप बनाने में सक्षम होना पड़ेगा।बहुत सारे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज
मौजूद हैं सी प्लस प्लस ये सीखा ऑब्जेक्टओरिएंटेड वर्जन है और दुनिया में सबसे
ज्यादा लोकप्रिय प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। क्रोम, फायरफॉक्स, फोटोशॉप और कई
सारे बड़े सॉफ्टवेर सी प्लस प्लस सीखकर बनाए गए हैं। यह वीडियो गेम बनाने के लिए भी
बहुत लोकप्रिय लाइन विषय सी प्लस +12 पर्स की आज भी हाई डिमांड रहती है।
3. जावा इसी प्लस प्लस लैंग्वेज का विकसित रूप है।और इसका इस्तेमाल
पोर्टेबिलिटी की आसानी की वजह से किया जाता है। इसका इस्तेमाल वीडियो गेम और
बिज़नेस सॉफ्टवेयर में किया जाता है और कई लोग इसे एक जरूरी भाषा मानते हैं।
4. सी हैज एक विंडोज बेस्ट लैंग्वेज है जो
माइक्रोसॉफ्ट से ही नीट फ्रेमवर्क का हिस्सा है। ये जावा और सी प्लस प्लस से जुड़ा
हुआ है। तो अगर आप जावा सीखते हैं तो आप जल्दी और आसानी से सी हैज सीख सकते हैं
5. ऑब्जेक्टिव सी ये सी भाषा का एक और चचेरा भाई
है जो विशेष रूप से ऐप्पल सिस्टम के लिए डिजाइन किया गया है या आइफोन और आइपैड
ऐप्स के लिए अत्यधिक लोकप्रियता है। एक फ्रीलैनसर के रूप में सीखने के लिए एक
शानदार भाषा है।
6.पाइथन से सीखने के लिए एक बहुत ही आसान भाषा
है।पाइथन के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
रिसोर्सेस ढूंढे ज्यादातर बुकस्टोर्स में
एक पूरा सेक्शन प्रोग्रामिंग की किताबों से भरी होती है। इसके अलावा ऐमज़ॉन जैसे ई
कॉमर्स साइट्स पर भी आपको ढेरों किताबें मिल जाएंगे। आपके पास अच्छी तरह से लिखी
गई प्रोग्रामिंग बुक्स होने चाहिए ताकि आप सॉफ्टवेयर बनाते वक्त उनकी मदद ले सकें।और कोडिंग
अच्छे से सीख सकें। किताबों के अलावा पर आपको। जहाँ से आप मदद दे सकते हैं कोर्ट
अकैडमी कोर्ट खान अकैडमी, डब्ल्यू थ्री स्कूल जैसी साइटों पर अपनी पसंद की भाषा के लिए कार्ड
खोजें
4. पेट प्रोजेक्ट्स पर काम करें इससे पहले कि आप अपने नए
प्रोग्रामिंग स्किल्स को असली दुनिया में नौकरी पाने के लिए सॉफ्टवेयर बनाकर लॉन्च
करने के लिए इस्तेमाल करें।अपने लिए कुछ प्रोजेक्ट्स पर काम करें। अपने
प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग करके समस्याओं को हल करने के लिए खुद को चुनौती
दे। ये न केवल आपके स्किल को डेवलप करने में मदद करेगा बल्कि आपके रेज्यूमे को
स्ट्रॉन्ग करने में भी मदद करेगा। उदाहरण के लिए, अगर आप वीडियो गेम बनाने में
इंटरेस्टेड हैं तो ईज़ी गेम पर काम करें जो ग्राफिक्स या कॉम्प्लेक्स मशीन के बिना
हो जाए। इसके बजाय उन्हें मजेदार और अनोखा बनाने पर ध्यान केंद्रित करे। आपके
द्वारा बनाए गए छोटे खेलों का एक संग्रह है। आपके पोर्टफोलियों में बहुत अच्छा
लगेगा
5. विचार करे एक अच्छा प्रोग्रामर एक ऐसा
सॉफ्टवेयर बनाएगा यूजर इसके लिए इस्तेमाल करना
आसान और इंट्रेस्टिंग होगा। उसे सॉफ्टवेयर को देखें, जिस पर आप काम
कर रहे हैं और देखें कि क्या ऐसे तरीके है? प्रोसेसर को आसान बना सकें
6.एक प्रोटोटाइप बनाये ये एक बेसिक प्रोग्राम हो जो उन फंक्शन्स को हाइलाइट करता हो जिसे
आप अचीव करना चाहते हैं। एक प्रोटोटाइप एक कुछ प्रोग्राम होता है और जब तक आप को
ऐसा डिज़ाइन नहीं मिल जाता तब तक इसे मॉडिफाइ किया जाना है।उदाहरण के लिए, अगर आप एक
कैलन्डर प्रोग्राम बना रहे हैं, तो आपका प्रोटोटाइप एक बेसिक कैलन्डर होगा जिससे आप इवेंट्स को अपने
प्रोग्राम कैलेंडर में जोड़ सकें।
इसमें दो बातों का ध्यान रखना होता है। पहला तो
ये की सॉफ्टवेर डेवलपमेंट के दौरान आपका प्रोटोटाइप बार बार बदलना चाहिए क्योंकि
आप जैसे जैसे अपनी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के नए तरीके ढूंढ़ते हैं।वैसे वैसे आपको
अपने प्रोटोटाइप में भी बदलाव करने होंगे और दूसरा यह कि प्रोटोटाइप सुंदर होना
चाहिए जरूरी नहीं है। असल में आठ और डिजाइन उन अंतिम चीजों में से एक होनी चाहिए
जिन पर आप काम कर रहे हैं, क्योंकि यूजर प्रोटोटाइप के डिजाइन को नहीं देखता उसके
सामने तो फाइनल सॉफ्टवेयर पहुँचता है ना बस सेवन
बार बार टेस्ट करें।कोर्ट में एरर्स और ज्यादा इस्तेमाल से कई सारी प्रॉब्लम्स हो
सकती है। इन को टेस्ट करके ही पहचाना जा सकता है और ठीक किया जा सकता है। अपने
दोस्तों और परिवारों को अपना सॉफ्टवेयर दे और टेस्ट करने को कहें। फिर वो एक यूजर की तरह उसकी कमियों को बताएंगे जिन्हें आप ठीक कर सकते हैं। अपने
सॉफ्टवेयर को टेस्ट करने के लिए गलत वेरिएबल्स का इस्तेमाल करें।
उदाहरण के लिए अगर आपके पास कोई ऐसा फॉर्म है जो यूजर की एज पूछता हो तो इससे नंबर्स की जगह वर्ड्स डालें और देखें कि क्या होता
है या फिर अगर आपके प्रोग्राम में ग्राफिकल इंटरफेस है, तो सब कुछ पर
क्लिक करें। जब आप पिछले स्क्रीन पर वापस जाते हैं या गलत क्रम में बटन क्लिक करते
हैं तो क्या होता है देखें।और गलती मिलने पर सुधार करें।
एक सॉफ्टवेयर बनाते समय किन किन बातों का
ध्यान रखना चाहिए
क्वालिटी और रिलायबिलिटी जब भी आप नया सॉफ्टवेयर बनाये तो सॉफ्टवेर की क्वालिटी पर
विशेष ध्यान दें। खासतौर से कमर्शियल और सिस्टम सॉफ्टवेयर के लिए सॉफ्टवेयर
दोषपूर्ण है तो ये किसी व्यक्ति के काम को डिलीट कर सकता है।कंप्यूटर को क्रैश कर
सकता है और भी कई सारे छेड़छाड़ कर सकता है। फोर्स और एरर्स को वर्क्स कहा जाता है, जो अक्सर अल्फा
और बीटा टेस्टिंग के दौरान खोजे जाते हैं। सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के जरिए कई बग्स
खोजें और मिटाए जाते हैं।
हालांकि सॉफ्टवेयर
टेस्टिंग शायद ही कभी सारे बक्से को खत्म करता है। कुछ प्रोग्रामर कहते हैं कि हर
प्रोग्राम में कम से कम एक अलग होता है। सॉफ्टवेयर की
टेस्टिंग यूनिट टेस्टिंग, रिग्रेशन टेस्टिंग और कई दूसरे सारे मेथड से की जा सकती है, जिससे मैनुअल
किया जाता है, क्योंकि टेस्टिंग किए जाने वाले कोड की संख्या काफी बड़ी हो सकती है।
उदाहरण के लिए नासा के पास कई ऑपरेटिंग सिस्टम और कम्यूनिकेशन फंक्शन्स के लिए बड़े
मजबूत सॉफ्टवेयर टेस्टिंग मशीन्स है।एम ब टू लाइसेंस सॉफ्टवेर का लाइसेंस यूजर को सॉफ्टवेयर का उपयोग करने का अधिकार देता है और मुफ्त सॉफ्टवेयर लाइसेंस
के मामले में दूसरे अधिकारों जैसे की कॉपी बनाने का अधिकार भी देता है।
सॉफ्टवेयर को दो भागों
में बांटा जा सकता है फ्री वेर जिसमें फ्री ट्रायल सॉफ्टवेयर या प्रीमियम
सॉफ्टवेयर की कैटगरी को शामिल किया जाता है।जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि फ्री
वेयर का उपयोग मुफ्त में किया जा सकता है। हालांकि फ्री ट्रायल या प्रीमियम
सॉफ्टवेयर के मामले में यह कभी कभी लिमिटेड टाइम पीरियड के लिए या लिमिटेड
फंक्शन्स के साथ इस्तेमाल करने के लिए मिल पाता है।
ऐसे सॉफ्टवेयर्स में
एडोब के सॉफ्टवेयर को गिना जा सकता है। दूसरे तरह की वो सॉफ्टवेर होते हैं जो कुछ
फीस पे करने परइस्तेमाल करने के लिए मिल जाते हैं। आप प्ले स्टोर पर भी देखते
होंगे कि कुछ एप्लिकेशन्स फ्री होते हैं और कुछ रुपयों में मिलती है। ऐसा ही
सॉफ्टवेयर के साथ भी होता है। ऐसे सॉफ्टवेयर को अक्सर कॉमर्शल सॉफ्टवेर कहा जाता
है जिसे केवल लाइसेंस की खरीद पर रूप से उपयोग किया जा सकता है। दूसरी ओर ओपन
सोर्स सॉफ्टवेयर मुफ्त सॉफ्टवेयर लाइसेंस के साथहोता है
तो उम्मीद है कि आपको
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