ads

ads

Operating System Kya Hai

 Operating System Kya Hai in Hindi   Full Information? हिंदी में 



 दोस्तों ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में तो सब जानते हैं क्योंकि इसका इस्तेमाल हम रोज़ कंप्यूटर या मोबाइल के जरिए कर रहे हैं। जिस तरह मोबाइल और इंटरनेट हमारी जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा बन गया है जिसके बिना हम आज के समय में एक काम भी नहीं कर सकते है |

 






 ठीक उसी तरह मोबाइल और कंप्यूटर को सही तरह से काम करने के लिए।ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया गया है, जो उनके लिए बेहद जरूरी है। जैसे की हम इंसान के शरीर में बहुत से अंग होते हैं, जो हमें सारे काम करने के लिए लायक बनाते हैं, भले ही कोई अंग अगर काम करना बंद कर दें, फिर भी हम जिंदा रहते हैं। लेकिन अगर हमारे शरीर का मुख्य चीज़ जैसे आत्मा निकाल दी जाए तो शरीर में सारे अंग होने के बावजूद भी वो किसी काम के नहीं रहेंगे।

 

 

कुछ ऐसा ही हाल होगा हमारे कंप्यूटर्स और मोबाइल के साथ भी इनके अंदर भी बहुत से मशीन के पार्ट्स लगे होते हैं। लेकिन मोबाइल और कंप्यूटर तैयार करने के बाद अगर ऑपरेटिंग सिस्टम इनके अंदर इन्स्टॉल नहीं किया जाएगा तो वो मोबाइल या कंप्यूटर स्टार्ट नहीं होगा। इसीलिए ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत ही इम्पोर्टेन्ट हिस्सा होता है।

 



 किसी भी मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर, टैबलेट  से सम्बंधित आपको ऑपरेटिंग सिस्टम से जुड़े सारी जानकारी प्रदान करने वाले हैं जिसमें ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है, यह कैसे काम करता है और ये कितने प्रकार के होते हैं इन सब के बारे में आपको इस ब्लॉग  से जानकारी मिले गी। इसीलिए इस ब्लॉग को  को पूरा जरूर पढ़ें

 

 सबसे पहले जानते हैं कि ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ऑपरेटिंग सिस्टम जिसे छोटे से रूप में ओएस भी कहा जाता है।यह एक सिस्टम सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच सभी कामों को संचालन करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो यूजर  और कंप्यूटर के बीच एक इंटरफेस प्रदान करता है जिसके जरिए यूजर  कंप्यूटर के साथ कम्यूनिकेट कर पाता है और इसके लिए यूजर को कंप्यूटर की भाषा समझने की जरूरत भी नहीं होती है।

 

सभी कंप्यूटर को सही तरह से काम करने के लिएऔर दूसरी ऐप्लिकेशंस या प्रोग्राम्स को रन करने के लिए ओएस की आवश्यकता होती है। क्रोम, एमएस वर्ड गेम्स, फोटोशॉप इत्यादि जैसे ऐप्लिकेशन  एक माध्यम या प्लैटफॉर्म की जरूरत है जिसमें वो रन कर सके और अपने टास्क को पूरा कर सके और यह प्लैटफॉर्म उन्हें ओएस प्रदान करते हैं।

 

 बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के कंप्यूटर बेकार है।कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत से छोटे छोटे प्रोग्राम्स का समूह होता है जिसे एक साथ जोड़कर सिस्टम के स्टोरेज डिवाइस में रखा जाता है। यही प्रोग्राम का समूह है जो कि कंप्यूटर के रिसोर्सेस जैसे हार्ड्वेर और उनके कार्य को मैनेज करता है। कंप्यूटर के हार्ड वेर अपने बल पर कार्य नहीं कर सकते और ना ही एक दूसरे के साथ इंटरैक्ट कर सकते हैं। इसीलिएऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक सिगनल  के द्वारा ही ये हार्ड्वेर अपना काम पूरा कर पाते हैं।

 

 ओएस कंप्यूटर में लोड होने वाला पहला प्रोग्राम होता है और यह कंप्यूटर के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच ब्रिज की तरह काम करता है ताकि ये दोनों एक दूसरे के साथ आसानी से कर सके। ऑपरेटिंग सिस्टम के कई अलग अलग नाम हैं, लेकिन उनका काम?एक ही जैसा होता है और वो है यूजर  को सिस्टम के साथ कम्यूनिकेट करवाना और हार्ड्वेर को मैनेज करना।

 

 अब तक के प्रमुख ओएस के नाम है विण्डोज़ ओएस, मैक ओएस, लिनक्स ओएस टू ऐन्ड्रॉइड ओएस, आइओएस एम एस डीओएस सिम्बियन ओएस और अब हम जानेगे की ऑपरेटिंग सिस्टम क्या काम करता है ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का सबसे जरूरी प्रोग्राम होता है।जो कि सभी साधारण और महत्वपूर्ण कार्य करता है जैसे की बोर्ड द्वारा इनपुट किए जा रहे है की इसको समझना, आउटपुट को स्क्रीन पर दिखाना, हार्ड डिस्क पर फाइल सौर डायरेक्टरी को मैनेज करना और कंप्यूटर के सभी पार्ट्स से कम्यूनिकेट करना, ये सारी चीजें शामिल हैं।

 

 

 इसके अलावा ये और भी कई तरह के कार्य करने में सक्षम है जैसे की नंबर एक मेमोरी मैनेजमेंट।प्राइमरी मेमोरी या मेन मेमोरी मैनेजमेंट को ही मेमोरी मैनेजमेंट कहा जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम प्राइमरी मेमोरी के हर एक कार्य को ट्रैक करता है। यानी इसका कौन सा भाग 21 के उपयोग में है और कौन सा भाग उपयोग में नहीं है  मेमोरी कहाँ इस्तेमाल हो रही है, कितनी मेमोरी इस्तेमाल हो रही है, इसका पता लगाता है और मांगने पर मेमोरी उपलब्ध भी करवाता है।

 

मल्टी प्रोसेसिंग के समय ओएस तय करता है की किस प्रक्रिया को कब और कितनी मेमोरी मिले गी। जब कोई प्रोग्राम का कार्य खत्म हो जाता है तो ये ऐलोकेट की गई मेमोरी को वापस  सर्व करता है।

 2.  प्रोसेसर मैनेजमेंट मल्टी प्रोग्रामिंग वातावरण में ओएस तय करता है की किस प्रक्रिया को प्रोसेसर उपयोग करने के लिए कब और कितने समय के लिए देना है।सी प्रोसेसेस शेड्यूलिंग कहा जाता है। ओएस प्रोसेसर और प्रोसैस की स्थिति पर नज़र रखता है। इस कार्य के लिए ओएस के जीस प्रोग्राम का उपयोग होता है उसे ट्रैफिक कंट्रोलर के रूप में जाना जाता है। ओएस प्रोसैस को कार्य पूरा करने के लिए सीपीयू करता है और कार्य समाप्त होने के बाद प्रोसेसर को फ्री कर देता है।

 

3.   डिवाइस मैनेजमेंट ऑपरेटिंग सिस्टम अपने संबंधित ड्राइवर्स के माध्यम से डिवाइस कम्यूनिकेशन्स का मैनेजमेंट करता है। इसके लिए ओएस सभी डिवाइसेस पर नज़र रखता है। इस कार्य के लिए ओएस के जीस प्रोग्राम का उपयोग होता है उसे इनपुट आउटपुट कन्ट्रोलर के रूप में जाना जाता है। ओएस तय करता है की कौन से प्रोसेसरों डिवाइस कब और कितने समय के लिए देनी है जब डिवाइस का काम पूरा हो जाता है।तब फिर ओएस उसे इनऐक्टिव कर देता है।

4.  फाइल मैनेजमेंट फाइल सिस्टम को सामान्य रूप से आसान नेविगेशन और उपयोग के लिए डायरेक्टरी में व्यवस्थित किया जाता है। ओएस इन फाइल्स के सूचना स्थान, यूजर  स्टेटस आदि पर नज़र रखता है। ये हर सूचना को ट्रैक करता है। इसके साथ ही फाइल का लोकेशन क्या है फाइल कब बनायी गयी कितने साइज़ की है   किस यूजर  ने बनाई थी  ये सारी जानकारी भी ओएस रिकॉर्ड करता है।

 

 

 5.  सेक्युरिटी ओएस हमारे सिस्टम को अनॉथराइज्ड करने से रोकता है। मतलब की आपके अलावा कोई और युजर  बिना आपकी इजाजत के आपके कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं कर सकता और इसके लिए ओएस पासवर्ड देने की पूरी आजादी देता है। जब आप अपना कंप्यूटर ऑन करेंगे तो वो आपको सबसे पहले पासवर्ड पूछेगा, उसके बाद ही आगे की प्रक्रिया के लिए इजाजत देगा। इससे आपका कंप्यूटर सुरक्षित रहता है।

 

अब हम जानेगे ऑपरेटिंग सिस्टम कितने प्रकार के होते हैं?

 

समय समय पर टेक्नोलॉजी में बदलाव किए जा रहे हैं। साथ ही में  कंप्यूटर ने भी समय के साथ काफी विकास किया है। जब से कंप्यूटर की स्थापना हुई है तभी से ऑपरेटिंग सिस्टम का भी उपयोग किया जा रहा है। कंप्यूटर में बदलाव करने के साथ साथ ऑपरेटिंग सिस्टम को भी उसके साथ कम्पैटिबल बनाने के लिए नए नए वर्जन को विकसित किया गया है।

 

ऑपरेटिंग सिस्टम के भी कई सारे प्रकार है।जैसे की मल्टी युजर  ऑपरेटिंग सिस्टम सिंगल यूजर  ऑपरेटिंग सिस्टम, मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम, मल्टी प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम, नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम चलिए एक एक करके इन सब के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

 

1. सबसे पहले है मल्टी यूजर  ऑपरेटिंग सिस्टम एक से अधिक यूजर को एक साथ कार्य करने की सुविधा प्रदान करता है।ये ओएस कंप्यूटर नेटवर्क में प्रयोग किया जाता है जो की एक ही समय में एक ही डेटा और ऐप्लिकेशन को एक से अधिक यूजर  को ऐक्सेस करने की अनुमति देता है।

 

2. सिंगल यूजर  ऑपरेटिंग सिस्टम ये ऑपरेटिंग सिस्टम एक ही समय में सिर्फ एक ही यू सर को कार्य करने की अनुमति देता है। पर्सनल कंप्यूटर के लिए इस्तेमाल होने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम सिंगल यूजर  ओएस है, जिसे एक समय में एक कार्य को मैनेज करने के लिए डिजाइन किया गया है।

 

3. मल्टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम ये ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर  को एक साथ कई अलग अलग प्रोग्राम को चलाने की सुविधा देता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम में आप एक समय में ईमेल भी लिख सकते हैं और साथ ही गाने भी सुन सकते हैं। फेसबुक  चला सकते हैं

 

4.  मल्टी प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम मल्टी प्रोसेसिंग शब्द का इस्तेमाल एक प्रोसेसिंग तरीके को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है।जहाँ पर दो या दो से अधिक प्रोसेसर एक दूसरे से जुड़े रहते हैं, इस में सिस्टम में विभिन्न और इन्डिपेन्डेन्ट प्रोग्राम के निर्देश एक ही समय में एक से अधिक प्रोसेसर द्वारा एग्जिक्यूट किये जाते हैं। इसका मतलब है की प्रोसेसर द्वारा विभिन्न निर्देश का एग्जिक्यूशन एक के बाद एक किया जाता है, जो की एक ही प्रोग्राम से प्राप्त किए होते हैं

 

5.  नेटवर्क ऑपरेटिंग  सिस्टम उन कंप्यूटर्स को अपना सर्विस प्रदान करती है जो की एक नेटवर्क से कनेक्ट  होते हैं। ये एक ऐसा प्रकार का ओएस है जो कि मल्टिपल कंप्यूटर्स को एक साथ कम्यूनिकेट करने के लिए फाइल शेयर करने के लिए और दूसरे हाथ में डिवाइस को ऐक्सेस करने की अनुमति देता है। नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम सर्वर पर रन होने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम हैं।

 

 6. डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम  वो सिस्टम होते हैं जो डेटा को स्टोर करते हैं और बहुत सारे लोकेशन्स पर डिस्ट्रिब्यूट कर देते हैं। इस ऑपरेटिंग सिस्टम में बहुत सारे सेंट्रल प्रोसेसर का उपयोग किया जाता है और इन प्रोसेसर्स के बीच प्रोसेसिंग के कार्य को बांट दिया जाता है। ये सेंट्रल प्रोसेसर कोई कंप्यूटर नोड या फिर कोई अन्य डिवाइस हो सकता है और ये सभी प्रोसेसर।आपस में कम्यूनिकेशन्स लाइन्स के द्वारा एक दूसरे से कनेक्टेड रहते हैं। इसका एक फायदा ये है की अगर एक कंप्यूटर या  नोड बंद भी कर दिया जाए तो अन्य दूसरे कंप्यूटर से काम किया जा सकता है। ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना कंप्यूटर का कोई अस्तित्व नहीं है। बिना ओएस के ये एक खाली डिब्बे के समान है। ओएस यूजर  और कंप्यूटर हार्ड्वेर के बीच इंटरफेस की तरह काम करता है और अगर आपके कंप्यूटर में ओएस इन्स्टॉल ना हो जो आपके कीबोर्ड मॉनिटर, माउस, सीपीयू आदि के बीच कभी भी संबंध स्थापित नहीं हो पायेगा।

 

 तो आशा है कि आपको इस लेख  से ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है, इसका काम क्या है और ये कितने प्रकार के होते हैं, इससे जुड़ी सारी जानकारी मिल गयी होगी। मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की हमारी विडियोज के जरिए आपको विषय पर पूरी जानकारी प्राप्त हो सके ताकि आपको कहीं और जाना पड़े। इस लेख  से जुड़े कोई भी परेशानी हो तो आप हमें नीचे कमेन्ट कर के बता सकते है

 

धन्यवाद

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.