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Machine learning Kya Hai

 Machine learning |मशीन लर्निग  क्या है |मशीन लर्निंग काम कैसे करता है |मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कहाँ पर किया जा रहा है?



Machine learning Kya Hai


Machine learning Kya Hai

आज के समय में विज्ञान का क्षेत्र बहुत तरक्की कर रहा है। कलम से लेकर लैपटॉप तक सबकुछ विज्ञान की देन है। हमारी दुनिया गैजेट्स और मशीनों से भरी पड़ी है।  विज्ञान ने मानव समाज के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। कंप्यूटर मनुष्य की इन्हीं अद्भुत खोजों में से एक है जिसने मानव जीवन को लगभग सभी क्षेत्रों में प्रभावित किया है।शुरुआती दिनों में कंप्यूटर इतने सक्षम नहीं थे, लेकिन लगातार विकास के कारण आज हमारे हर एक काम में कंप्यूटर हमारी जरूरत बन गया है। आने वाले समय में मशीनी युग की शुरुआत होने वाली है। या तो आप ये कह सकते हैं कि इसकी शुरुआत हो ही चुकी है। जहाँ कंप्यूटर अब मनुष्यों की तरह ही सोचने समझने की क्षमता रखते हैं इस लेख में आपको  मशीन लर्निंग के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी | आप लोग इसके बारे में सुना ही होगा लेकिन अगर आप  इसके बारे में  और अधिक जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरुर पढ़ें | जिसमें हम आपको बताने वाले हैं मशीन लर्निंग क्या है,? ये काम कैसे करती है? और इसके क्या क्या फायदे होते हैं?

 

 

 

 

मशीन लर्निग  क्या है ?

 

मशीन लर्निंग आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स का एक भाग है जो कि सिस्टम को ये काबिलियत प्रदान करता है कि वो ऑटोमैटिकली सीख सके और जरूरत पड़ने पर खुद को बेहतर भी बना सके। मशीन लर्निग स्पष्ट रूप से प्रोग्राम के लिए बिना सिस्टम को ऑटोमैटिकली लर्न करना सीखा सकती है।सिस्टम को कार्य करने के लिए इतना कुशल बना दिया जाता है कि मशीन अगली बार से अपने पिछले अनुभव के आधार पर खुद ही उस कार्य को पूरा कर सके और लगातार उसमें सुधार कर सके। जैसे की हम इंसान करते हैं। हम अपने अच्छे बुरे सभी अनुभवों से कुछ कुछ सीखते हैं और भविष्य में उस अनुभव के आधार पर ही कोड कार्य करते हैं।

 

 

 

मशीन इसी आधार पर बना है। यानी किसी एक विशेष कंप्यूटर या मशीन को इस तरह से प्रोग्राम किया जाता है कि वो यूजर  के मन मुताबिक काम कर सके। साथ ही यूज़र की कमांड और उससे जुड़े डेटा को भी स्टोर करके रख सके। मशीन लर्निंग कंप्यूटर प्रोग्राम के विकास पर फोकस करता है जो कि डेटा को खुद ही ऐक्सेस कर सके और बाद में उसे खुद के लर्निंग के लिए इस्तेमाल कर सकें। मशीन के सीखने की प्रक्रिया डेटा या ऑब्जर्वेशन से शुरू होती है, जिसमें इन्टरनेट एक्सपिरियंस या इन्स्ट्रक्शन्स के जरिये मशीन प्राप्त डेटा में पैटर्न की तलाश कर सके और भविष्य में मनुष्यों द्वारा दिए गए उदाहरणों के आधार पर बेहतर निर्णय ले सकें।

 

 

मशीन लर्निंग बनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य यही है। ये कंप्यूटर बिना किसी इंसान की सहायता से अपने आप ही सीख सकें और उसके अनुसार ही कार्य को अंजाम दे। आसान भाषा में कहें तो मनुष्य अपनी तरह की सोचने वाली मशीन बनाना चाहता है |

 

 

 

 

मशीन लर्निंग काम कैसे करता है?

 

मशीन लर्निंग कृत्रिम बुद्धिमता एआइ का एक रूप है जो कि कंप्यूटर को इंसानों के समान सोचने के तरीके के बारे में सोचना सीखाता है जो ऐसे पिछले अनुभवों से सीखना और सुधारना ये डेटा की खोज पैटर्न की पहचान करके काम करता है और इसमें एक कम से कम ह्यूमैन इन्टर्वेंशन शामिल होता है। मशीन लर्निंग को इतना मूल्यवान बनाने का एक बड़ा हिस्सा ये पता लगाने की क्षमता है कि डेटा को रीड या कलेक्ट करते समय मानव की नजरों से क्या छूट गया है।मशीन लर्निंग मॉडल उन जटिल पैटर्न को पकड़ने में सक्षम हैं जिन्हें ह्यूमैन अनैलिसिस के दौरान अनदेखा किया जाता है।

 

 

मशीन लर्निंग के काम करने के तरीके को समझने के लिए इसके प्रकार को समझना बहुत जरूरी है। सामान्य रूप से मशीन लर्निंग ऐल्गोरिदम चार प्रकार के होते हैं

·         1.सूपर्वाइज़ लर्निंग

·         2. अंत सुपरवाइजर लर्निंग

·         3.सेमी सूपर्वाइज़ लर्निंग

·         4. रेन्फोर्स्मेंट मशीन लर्निंग

 

 

 

 

 

 

सूपर्वाइज़ मशीन लर्निंग -

 

इस प्रकार के ऐल्गोरिदम में मशीन अपने पिछले अनुभवों से जो सीखा हुआ होता है, उसे यह नए डेटा में लागू करता है ताकि वह पहले से दिए गए उदाहरण का इस्तेमाल करके भविष्य में होने वाली घटनाओं का अनुमान लगा सकें।ये ऐल्गोरिदम में ठीक उसी तरीके से काम करता है जिस तरह से मनुष्य वास्तव में अपने अनुभवों से सीखते हैं।  सूपर्वाइज़ लर्निंग में मशीन को इनपुट के तौर पर विभिन्न प्रकार के उदाहरण तथा जवाब दिए जाते हैं जिससे की ऐल्गोरिदम इन उदाहरणों से सीखती है और इन पुट्स के आधार पर सही आउटपुट का अनुमान लगाती है।

 

 

 

 

अनसुपरवाइज्ड मशीन लर्निंग

 

अनसुपरवाइज्ड मशीन लर्निंग ऐल्गोरिदम के विपरीत इसमें इनपुट के रूप में उदाहरण और जब आप पहले से नहीं दिए जाते, इसमें एल्गोरिदम को खुद ही डेटा के आधार पर अनुमान लगाना होता है। इसीलिए ये ऐल्गोरिदम टेस्ट डेटा या रियल डेटा से सीखते हैं, जिन्हें पहले से लेबल्ड, क्लासिफाइड या कैटेगराइज नहीं किया गया है। अन सूपर्वाइज़ लर्निंग ऐल्गोरिदम डेटा में समानताओं की पहचान करता है और डेटा के प्रत्येक नए टुकड़े में ऐसे सा मान्यताओं की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर आउटपुट देता है।

 

सेमी सूपर्वाइज़  लर्निंग

 

ये ऐल्गोरिदम दोनों सूपर्वाइज़ फौरन सुपरवाइजर लर्निंग के बीच में आता है क्योंकि प्रशिक्षण के लिए ये दोनों लेबल्ड और अन लेबल डेटा का इस्तेमाल करता है। वो सिस्टम जो इस ऐल्गोरिदम मेथड का इस्तेमाल करता है वो बड़ी ही आसानी से अपनी लर्निंग एबिलिटी को समय समय पर काफी सुधार करने में एक सक्षम होता है।

 

 

 

 

रेन्फोर्स्मेंट लर्निंग रेन्फोर्स्मेंट मशीन लर्निग

 

एक सीखने की विधि है जो क्रि याओं को प्रस्तुत करके अपने आसपास के वातावरण से बातचीत करता है और साथ ही एरर्स को भी डिस् कवर करता है। ट्राइल और  एरर को खोज निकालना और उनके बारे में पता लगाना इस एल्गोरिदम की खासियत है ये मेथड मशीन और सॉफ्टवेरविशेष निर्देश की गतिविधियों का खुद से पता लगाने में सहायता करता है जिससे यह सिस्टम की परफॉर्मेंस को और बेहतर बना सके।

 

 

 

 

मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कहाँ पर किया जा रहा है?

 

मशीन लर्निंग का उपयोग करके गूगल बहुत सी नई चीजें कर रहा है, जैसे गूगल ट्रांसलेटर सड़क पर लगे संकेत बोर्ड या किसी भाषा में लिखे मेनू की फोटो लेकर उसमें मौजूद शब्दों और भाषा का पता लगाता है और उसका आपकी भाषा में उसी समय ट्रांसलेट  कर देता है। ये असल में मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का ही कमाल है। इसके साथ आप गूगल ट्रांसलेटर से कुछ भी बोल सकते हैं और मशीन लर्निंग के जरिए काम करने वाली स्पीच रिकग्निशन यानी बोली  को पहचानने वाली तकनीक अपना काम शुरू कर देगी। स्पीच रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल गूगल के और भी प्रोडक्ट्स में होता है। जैसे गूगल ऐप में आप अपने वोईस  से कुछ भी सवाल कर सकते हैं और यूट्यूब पे भी आप मन चाहे विडियो लिखकर सर्च करने के अलावा आप बोलकर भी सर्च कर सकते हैं।

 

 

 

मशीन लर्निंग का इस्तेमाल और भी कई जगह पर किया जा रहा है। जैसे की फेसबुक, शॉपिंग वेबसाइट्स, ईमेल इत्यादि। दुनियाभर में फेसबुक का इस्तेमाल काफी बड़ी मात्रा में किया जाता है और मशीन लर्निंग का उपयोग फेसबुक में ऑटोमैटिक फ्रेन्ड टैग सजेशन में किया जाता है।इसमें फेस डिटेक्शन और इमेज रिकग्निशन के आधार पर फेसबुक अपने डेटाबेस में चेक करता है और किसी फोटो या इमेज को पहचान लेता है। जब आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो आपने देखा होगा कि आपके सर्च किए गए प्रोडक्ट्स से जुड़ी जानकारियां आपको हर जगह दिखाई देने लगती है। जैसे आपने ऐमज़ॉन पर कुछ सर्च किया है और कुछ देर बाद जब आप फेसबुक या यूट्यूब खोलेंगे।तो वहाँ भी आपको उसी प्रोडक्ट्स से जुड़े विज्ञापन दिखने लगते हैं तो ये सब असल में मशीन लर्निंग के वजह  से दिखाई देता है, जिसमें गूगल आपकी हर गतिविधि पर नज़र रखता है और उसी के अनुरूप विज्ञापन दिखाता है। ठीक इसी तरह ईमेल इस्तेमाल करते समय आपने देखा होगा कि कैसे सिर्फ हमारी जरूरत की मेल्स ही इनबॉक्स में आती है और अधिकतर मेल्सस्पा मेल्स वाले फ़ोल्डर में चली जाती है तो इसके पीछे भी मशीन लर्निंग इस्तेमाल होती रही है।

 

 

जिसमें मशीन लर्निंग द्वारा ऑटोमैटिकली किसी मेल का कॉन्टेंट और सोर्स डिटेक्ट कर लिया जाता है और कुछ गलत पाए जाने पर ईमेल को स्पैम कर दिया जाता है।

 

 

 

 

मशीन लर्निंग के क्या क्या फायदे हैं?

 

मशीन लर्निंग के फायदे की बात की जाए तो इससे इंसान की जिंदगी काफी आसान हो गई है।जहाँ की इस्तेमाल लगातार हर क्षेत्र में कार्यों को बेहतर करने के लिए किया जा रहा है और इसके लिए लगातार मशीनों को और भी प्रभावी और कुशल बनाया जा रहा है। मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि इस तकनीक का फायदा लगभग हर क्षेत्र में हो रहा है। जैसे, रीटेल में जहाँ ट्रेड को आसानी से समझा जा सकता है और भविष्य में होने वाली सेल की अनुमान लगाया जा सकता है।साथ ही कस्टमर के ब्राउज़िंग बिहेव्यर को समझकर उचित प्रॉडक्ट उनके स्क्रीन पर सुझाए जा सकते हैं, जिससे कस्टमर एक्सपिरियंस पर सके और सेल में वृद्धि हो पाए।

 

 

 

फाइनल सेक्टर में भी मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे कस्टमर को बेहतर और तेज सर्विस उपलब्ध कराई जा रही है जैसे लेनदेन, सुरक्षा बढ़ाना और फ्रॉड गतिविधियों पर रोक लगाना हेल्थ के इंडस्ट्रीज़ में भी मशीन लर्निग बहुत तेजी से कार्य कर रही है। मशीन लर्निंग की सहायता से मनुष्य के शारीरिक गतिविधियों द्वारा उनके बिमारी का पता लगाने में मदद मिलती है। साथ ही इससे काफी कम खर्च में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा मिलता है। गूगल और फेसबुक में भी मशीन लर्निंग के इस्तेमाल से यूजर  को उचित विज्ञापन दिखाते हैं।ये सभी विज्ञापन यूजर  के पास सर्च बिहेव्यर पर आधारित होते हैं। इसीलिए इसे टारगेट एड्स भी कहा जाता है। इसके अलावा मशीन लर्निंग का उपयोग ऑनलाइन धोखाधड़ी को पकड़ने, फिल्टर करने, फ्रेट रोकने और नेटवर्क सिक्योरिटी के क्षेत्र में भी किया जाता है।

 

 

 

इसी प्रकार ऐसे बहुत से क्षेत्र है जहाँ मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया जा रहा है और ऐसे बहुत से क्षेत्र भी  है जंहा पे इसके रिसर्च  किया जा रहा है | ये हमारे लिए फायदेमंद साबित हो सकता है? भविष्य में मशीन लर्निंग का उपयोग अधिकतम चीजों में किए जाने की संभावना है, जिसमें आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स का रोल बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

 

 

तो दोस्तों उम्मीद है कि आपको इस इस लेख में दी गई जानकारी आपको अच्छे से समझ में आ गई होगी । मशीन लर्निंग काफी बड़ा विषय है। जिसे हमने इस लेख के माध्यम से आपको शॉट में समझाने की कोशिश की है।आशा है कि आपको इस में  मशीन लर्निंग क्या है और ये कैसे काम करती है और इसके क्या क्या फायदे हैं? ये सभी चीजें आपको समझ में गई होंगी। मशीन लर्निंग के विषय में आपकी क्या राय है हमें कमेन्ट बॉक्स में जरुर बताइयेगा  और साथ ही साथ जरूर शेयर कीजिएगा |

धन्यवाद।

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