{Hologram}होलोग्राफिक के तकनीक तकनीक क्या है होलोग्राम इतना यूसफुल क्यों और कैसे है?
Hologram Kya Hai
क्या
आपने
होलोग्राम्स
के
बारे
में
कभी
सुना
है
या
देखा
है?
जो
आपकी
ड्राइविंग
लाइसेंस
और
क्रेडिट
कार्ड
पर
एक
चमकती
वो
स्टीकर
की
फॉर्म
में
होता
है
और
ब्रैंड
न्यू
डीवीडी,
वीडियो
गेम
और
कंप्यूटर
सॉफ्टवेयर
पैकेज
पर
भी
एक
सिल्वर
इमेज
वाली
स्टिकर
की
फॉर्म
में
नजर
आता
है।जो
की
थ्री
डाइमेंशनल
फोटोग्राफ
जैसा
होता
है।
होलोग्राम
स्टिकर
हमें
पैसों
की
धोखाधड़ी
से
बचाता
है
तो
वर्चुअल
रिऐलिटी
गेम
में
यूजर को वर्चुअल वर्ल्ड में भी लाइफ फीलिंग देने वाली टेक्नीक भी होलोग्राम ही हैं। इनके अलावा आपने होलोग्राम को किक मूवी में और स्टार वॉर्स और आइरन मैन जैसी साइंस फिक्शन मूवीज़ में भी जरूर देखा होगा।जहाँ एक पर्सन या ऑब्जेक्ट की हूबहू शक्ल दिखाई दे रही थी। ये साइंस की टेकनीक होलोग्राफी की बदौलत ही हुआ करता है, जो हाइली स्पेशलिस्ट टेकनीक होती है।
इसका मतलब यह हुआ कि होलोग्राम तो बहुत ही इंट्रेस्टिंग टॉपिक है, जिसके बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है। इसलिए इस लेख
में
आपको होलोग्राफी और होलोग्राम के बारे में सम्पूर्ण
रूप से बताया गया है ।और अगर इसके
बारे
में
आप
अपनी
नॉलेज
बढ़ाना चाहते हैं तो इस
लेख को
लास्ट
तक
जरूर
पढ़े |
होलोग्राफिक के तकनीक तकनीक क्या है ?
होलोग्राम
हमारी
डेली
लाइफ
में
यूज़
होने
वाली
टेक्नीक
है
और
होलोग्राम्स
को
बनाने
वाली
साइंस
को
होलोग्राफी
कहा
जाता
है।
होलोग्राम
एक
ग्रीक
वर्ड
है
जिसमें
होलो
उसका
मतलब
हॉल
होता
है।और
ग्रामा
का
मतलब
मैसेज
होता
है।
होलोग्राफी
किसी
ऑब्जेक्ट
की
थ्री
डाइमेंशनल
इंप्रेशन
यानी
थ्री
डी
इमेज
बनाने
का
मेथड
है
और
इसका
हाइएस्ट
रिज़ॉल्यूशन
हुआ
करता
है।
इसमें
इमेज
की
डेथ
दिखाई
देती
है।
होलोग्राम
भले
ही
एक
फिजिकल
ऑब्जेक्ट
की
विज़ुअल
इमेज
होता
है
लेकिन
ये
फोटोग्राफर
से
अलग
होता
है।
होलोग्राफी
ऐसे
टेकनीक
हैं,
जो
इनफ्लाइट
फिनोमिना
का
यूज़
करके
थ्री
डाइमेंशनल
इमेजेज
को
जेनरेट
करती
है
जबकि
फोटोग्राफी
में
दो
डाइमेंशनल
इमेज
जेनरेट
की
जाती
है।
होलो
ग्राफ़
बनाने
के
लिए
किसी
तरह
के
लेंस
की
जरूरत
नहीं
होती
है
जबकि
फोटोग्राफ
के
लिए
लेन्स
जरूरी
होता
है।
होलोग्राम
एक
लेन
से
बनाई
गई
एमएच
की
बजाय
एक
लाइट
फील्ड
की
फोटोग्राफिक
रिकॉर्डिग
होता
है।और
इसका
यूज़फुल
थ्री
डाइमेंशनल
इमेज
डिस्प्ले
करने
के
लिए
किया
जाता
है
जिसे
स्पेशल
ग्लासेस
के
बिना
भी
देखा
जा
सकता
है।
होलोग्राफी
टर्म
को
सबसे
पहले
इंट्रोड्यूस
करने
का
क्रेडिट
डेनिस
गाबोर
कुछ
आता
है
जिन्होंने
1947 मैं
इसके
बारे
में
बताया
और
फोटोग्राफी
के
थ्री
डाइमेंशनल
लेन्स
मेथड
को
इन्वेन्ट
करने
के
लिए
उन्हें
1971 में नोबेल प्राइज भी दिया गया।
होलोग्राम इतना यूसफुल क्यों और कैसे है?
होलोग्राफिक
स्टीकर्स
ऑथेंटिकेशन
और
प्रोडक्ट्स
प्रमोशन
प्रोवाइड
कराते
हैं
इन
होलोग्राम
स्टीकर्स
का
यूज़
कंप्यूटर
इक्विपमेंट
पूड़लाइसेंस
और
सेक्युरिटी
डॉक्यूमेंट्स
में
हुआ
करता
है।
क्योंकि
आपके
प्रोडक्ट्स
और
डॉक्यूमेंट्स
को
प्रोटेक्ट
करने
और
उनकी
आइडेंटिटी
को
कन्फर्म
करने
का
फ्लेक्सिबल
तरीका
है।
ये
थ्री
डी
होलोग्राफी
स्टिकर
अफोर्डेबल
और
ड्यूरेबल
होते
हैं
और
ब्रैंड
प्रमोशन
की
बेस्ट
मार्केटिंग
स्ट्रैटिजी
इसमें
से
भी
एक
होते
हैं।
इनका
यूज़
करने
से
ये
फायदा
होता
है
कि
इन्हें
रेप्लिकेट
करना
बहुत
ही
मुश्किल
होता
है।
यानी
इनका
डुप्लिकेट
बनाना
आसान
नहीं
होता,
इसलिए
इनका
यूज़
वर्ल्ड
की
लार्जेस्ट
कंपनीज
भी
करती
है।
ये
इफेक्टिव
ऐंटी
पाइरेसी
स्टिकर्स
होते
हैं
और
सेक्युरिटी
होलोग्राम
स्टिकर्स
का
यूज़
ऑफिसियल
डॉक्यूमेंट्स
जैसे
की
सर्टिफिकेट्स
पर
उनके
ऑथेंटिसिटी
शो
करने
के
लिए
किया
जाता
है।
इसके
अलावा
बहुत
से
प्रोडक्ट्स
और
पैकेजिंग
पर
भी
इस
तरह
कीफिगर्स
का
यूज़
किया
जाता
है
और
ये
ब्रैन्डस
को
ओरिजिनल
प्रॉडक्ट
प्रोटेक्शन
देते
हैं,
क्योंकि
इन
स्टिकर्स
का
नकली
होना
मुश्किल
है।
इनमें
यूनीक
ऑप्टिकल
प्रॉपर्टीज़
होती
है
जो
लाइट
को
डिफेक्ट
कर
के
थ्री
डी
इमेज
बनाती
है।
थ्रीडी
होलोग्राम
स्टिकर
बनाने
के
लिए
स्पेशल
और
एक्स्पेन्सिव
इक्विपमेंट
की
भी
जरूरत
होती
है
और
ओरिजिनल
मास्टर
होलोग्राम
से
ही एक आइडेंटिकल स्पीकर बनाया जा सकता है। यानी अगर किसी प्रॉडक्ट या डॉक्यूमेंट पर इस तरह का होलोग्राम स्टिकर लगा हुआ है तो समझिए कि उसे अच्छी तरह से से शिक्योर
किया गया है और वो ओरिजिनल भी हैं। कई सारे ब्रैन्डस भी अपने प्रोडक्ट्स की ओरिजिनलिटी को शो करने के लिए उस पर होलोग्राम स्टीकर लगाते हैं ताकि अगर कोई उस प्रॉडक्ट या ब्रैंड की नकल करना चाहे तो हूबहू नकल नहीं कर पाए।
ये
स्टीकर्स
काफी
हद
तक
बाकी
स्टिकर्स
की
तरह
ही
बनते
हैं।
इसमें
इंक को वाइनल पर प्रिंट किया जाता है। उसके बाद एक क्लिअर लैमिनेट उस प्रिंटेड लेयर के ऊपर अप्लाई कर दिया जाता है, जो की उस स्टीकर को ड्यूरेबल बनाता है। वॉटर्प्रूफ और सनलाइट में पेड
होने से भी बचाता है और क्योंकि इनका डुप्लिकेट निकालना काफी मुश्किल होता है। इसीलिए ये पॉपुलर सिक्योरिटी मेजर्स बन गयी है।जो की हमें धोखाधड़ी और जालसाजी से बचाते हैं। अब बहुत तरह के होलोग्राम्स बनने लगे है जैसे रेन्बो होलोग्राम्स जिनका यूज़ सिक्योरिटी पर्पस के लिए क्रेडिट कार्ड और लाइसेंस पर हुआ करता है और टेक्नोलॉजी के एडवान्स्मेन्ट की बदौलत होलोग्राम्स केवल प्रोडक्ट्स में ही यूज़ नहीं होते हैं बल्कि साइअन्टिस्ट ने ऐसे लाइफ लाइक होलोग्राम्स भी बना दिए हैं
Hologram Kya Hai
जो
लोगों
से
इंटरैक्ट
कर
सकते
हैं।जी
हाँ,
साइंस
फिक्शन
मूवीज़
में
जहाँ
एक
पर्सन
अचानक
सामने
से
आता
है,
बातें
करता
है,
रिस्पॉन्स
देता
है
जैसे
की
वो
रियल
में
हो
लेकिन
वो
रियल
होता
नहीं
है
और
इस
तरह
के
होलोग्राम
आप
अपनी
फेवरेट
साइंस
फिक्शन
मूवीज़
में
देखते
आए
हैं।
जैसे
की
स्टार
वॉर्स,
एक
होलोग्राम
हवा
में
भी
थ्री
डी
इमेज
बना
सकता
है,
जो
बिल्कुल
रियल
नजर
आये।जैसे
आप
या
मैन
और
उसकी
फोटो
भी
ली
जा
सकती
है।
जब
होलोग्राम
बनाया
जाता
है
तो
लेज़र
से
निकलने
वाली
लाइट
उस
ऑब्जेक्ट
की
इमेज
को
फ़िल्म
या
फोटोग्राफिक
फ्लैट
पर
रेकोर्ड
करती
है।
होलोग्राम
बनाने
के
लिए
आपको
एक
ऑब्जेक्ट
के
रूप
में
वो
पर्सन
चाहिए
होगा
जिसे
आप
रिकॉर्ड
करना
चाहते
हैं।
ऑब्जेक्ट
पर
श्राइन
करने
के
लिए
लेज़र
बीम
और
रिकॉर्डिंग
मीडियम
की
जरूरत
होगी
जो
कि
मिल
करके एक होलोग्राम तैयार करेंगे। इसमें किसी ऑब्जेक्ट के द्वारा स्कैटर की गई लाइट को रिकॉर्ड कर लिया जाता है और फिर उस रिकॉर्डिंग को होलोग्राम की फॉर्म
में प्रेज़ेंट किया जाता है। ये थ्री डाइमेंशनल दिखाई देता है यानी लाइट को रेकोर्ड करके रखना और उस रिकॉर्डिंग को इस तरीके से प्रेज़ेंट करना कि वो थ्री डाइमेंशनल दिखाई दे होलोग्राफी कहलाती है।
इसे
हम
फोटोग्राफी
से
रिलेट
कर
के
भी
समझ
सकते
हैं।
जैसे फोटोग्राफी में हम पिक्चर्स क्लिक करते हैं, उन्हें कभी भी देख कर अपनी यादें ताजा कर लेते है। वैसे ही होलोग्राफी में किसी पर्सन या ऑब्जेक्ट से स्कैटर हुए लाइट को रेकोर्ड करके रख लेना और बाद में उस रिकॉर्डिंग के जरिए उस ऑब्जेक्ट या पर्सन को अपने सामने देख पाना होलोग्राफी हो गयी। वैसे हम ऑडियो तो रेकोर्ड करते ही रहते हैं और बाद में कभी भी कितने भी बार उस रेकोर्ड वाइस
को सुन सकते हैं।तो ठीक है। ऐसा ही हम होलोग्राफी में भी कर सकते हैं। यानी अगर आपके ऊपर से स्कैटर हुए लाइट को प्रॉपर मेथड से रेकोर्ड किया जाए तो बाद में उस रिकॉर्डिंग को पलें करके आपकी एब्सेंस में भी आपको देखा जा सकता है। अगर आप होलोग्राम्स को डिफरेंट एंगल से देखेंगे तो आपको ऑब्जेक्ट्स के डिफ़रेंट पर्सपेक्टिव नजर आएँगे और अगर आप होलोग्राम को हाफ कर देंगे तो हर हाफ में उस होलोग्राफिकउसका पूरा आव्यू नजर आएगा।
Hologram Kya Hai
होलोग्राम
अब
केवल
साइंस
फिक्शन
मूवीज़
तक
ही
सीमित
नहीं
है
बल्कि
होलोग्राम
का
यूज़
बहुत
सारे
एरियाज
में
किया
जाने
लगा
है
जिसे
मिलिट्री,
मेडिकल
और
आर्ट्स
फील्ड
में
कई
कन्ट्रीज
के
मिलिट्री
में
वोर
फाइटर्स
को
ट्रेन
करते
हुए
एजुकेट
करने
में
इस
वर्चुअल
कैरेक्टर
टेक्नोलॉजी
का
यूज़
किया
जाने
लगा
है।
इस
थ्रीडी
होलोग्राम
प्रिंटिंगकी
बदौलत
मिलिटरी
क्रिटिकल
मिशन
से
पहले
उस
इलाके
और
सिचुएशन
को
आसानी
से
समझ
पा
रही
है
क्योंकि
थ्रीडी
होलोग्राम
किसी
इलाके
की
इग्ज़ैक्ट
हाइट
एलिवेशन
शो
करते
हैं,
जिससे
मिशन
को
एक्यूरेट
ली
प्लैन
कर
पाना
आसान
हो
गया
है।
मेडिकल
फील्ड
में
भी
इस
टेक्नोलॉजी
का
यूज़
प्रैक्टिकल
स्टडीज़
और
एक्सप्लेनेशन
में
होने
लगा
है।
ये
पेशेंट
की
बॉडी
पार्ट्स
के
डिजिटल
थ्रीडी
इमेजेस कोइ इजीली स्टोर कर लेती है। होलोग्राम्स का यूज़ बहुत से मेडिकल टेस्ट और डिवाइसेस में किया जाता है और डाइअबीटीज़ इन्फेक्शन्स और टिशूज़ की प्रॉपर फंक्शनिंग में भी होता है और अब फ़िज़िशन होलोग्राफिक इमेज को ज़ूम करके मेडिकल पार्ट का ज्यादा क्लिअर यूवी देख सकते हैं। होलोग्राम्स बनाने के लिए लाइट की जरूरत तो होती ही है लेकिन होलोग्राम्स विजिबल लाइट के बिना भी बनाए जा सकते हैं।इसकी जगह यू वी एक्स रे और साउंड वेव्ज़ भी यूज़ की जाती है। यानी का यूज़ करके ध्वनी
सॉलिड ऑब्जेक्ट्स
के
थ्रू
इमेजेज
रेकोर्ड
की
जा
सकती
है
और
शॉर्ट
वेव
जैसे
की
एक्सरे
से
बनाए
गए
होलोग्राम्स
मॉलिक्यूलर
सौरे
टॉस
जीतने
छोटे
पार्टिकल्स
की
इमेज
एस
बना
सकते
हैं।
माइक्रोवेव
होलोग्राफी
का
यूज़
एस्ट्रोनॉमी
में
डीप
स्पेस
से
रेडियो
वेव्स
रेकोर्ड
करने
के
लिए
किया
जाता
है।इसी
तरह
एजुकेशन,
फील्ड
और
आर्ट
जैसे
एरियाज़
में
भी
होलोग्राफी
का
यूज़
होने
लगा
है।
यानी
अब
होलोग्राम
केवल
डॉक्यूमेंट्स
और
प्रोडक्ट्स
पर
ही
नहीं
देखा
जा
सकेगा
बल्कि
मूवीज़,
एजुकेशन
हॉस्पिटल्स
और
आर्ट
गैलरीज़
जैसी
हर
जगह
देखा
जा
सकेगा।
ये
वाकई
इंट्रेस्टिंग
होगा
और
फिर
टेक्नोलॉजी
का
एडवान्स्मेन्ट
हमें
एडवान्स
बनाने
में
हेल्प
भी
जरूर
करेगा।
Hologram Kya Hai
हमें
उम्मीद
है
कि
इस
लेख के जरिये आप होलोग्राफी तकनीक के बारे में काफी कुछ जान गए होंगे और ये जानकारी आपको इंट्रेस्टिंग भी जरूर लगी होगी। इस
लेख से सम्बंधित कोई सवाल है है तो आप कमेन्ट करके पूछ सकते है |
धन्यवाद।