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Rocket scientist Kaise bane

 

{Rocket scientist}रॉकेट  बिल्डिंग टास्क में कौन कौन शामिल होता है रॉकेट साइंटिस्ट बनने की प्रोसीज़र क्या क्या है ?


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Rocket scientist Kaise bane


रॉकेट साइंस में साइंस के ऑल मोस्ट सारे फील्ड टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैच शामिल होती है।ये ऐसा चैलेंजिंग फील्ड है जिसमें रॉकेट्स की डिजाइन और डेवलपमेंट पर फोकस किया जाता है और इस काम को अंजाम देने वाली टीम में एक बहुत इम्पोर्टेन्ट रोल रॉकेट साइंटिस्ट का होता है। ये रॉकेट साइंटिस्ट ऐसे स्पेशलाइजड एयरोस्पेस इंजीनियर होते हैं जो स्पेस मिशन्स के लिए रॉकेट्स बिल्ड करने का काम करते हैं। अब आप ही बताइए ये एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी टफ टास्क लेकिन जैसे रॉकेट्स और स्पेसक्राफ्ट ट्रैक करते है और जैसे इनके डिजाइन बनाने का आइडिया बहुत ही एक्साइटिंग लगता है |

 

 

 उसके लिए ये एक बेहतरीन और ऐडवेंचरस करियर हो सकता है। अब ऐसे में अगर आपको भी रॉकेट्स डिजाइन करने की तमन्ना है और इसके लिए आपके पास बहुत से क्रिएटिव और ऑथेंटिक आइडिआ सौर टेक्निकल नॉलेज है।तो आप भी रॉकेट साइंटिस्ट बन सकते हैं और इसलिए हमने इस लेख में सम्पूर्ण रूप बताया है ताकि आप जान सकें कि रॉकेट साइंटिस्ट कैसे बना जा सकता है, उसके लिए क्या क्वालिफिकेशन चाहिए होती है, कौन से स्किल्स और एक्सपीरियंस रिक्वायर्ड होता है। करियर इसको कैसा होता है और किस तरीके की स्ट्रैटिजी के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इसलिए इस लेख को अंत तक जरुर पढ़ें |

 

 

 रॉकेट  बिल्डिंग टास्क में कौन कौन शामिल होता है?

 

रॉकेट और स्पेस क्राफ्ट डिज़ाइनिंग बिल्डिंग टास्क में शामिल साइंटिस्ट  में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स , मेकनिकल इंजीनियर्स ,सॉफ्टवेर इंजीनियर्स  केमिस्ट, फिज़िसिस्ट और कंप्यूटर साइंटिस्ट इन्वॉल्व होते हैं, लेकिन इनके रोल लिमिटेड होते हैं। जबकि एरोस्पेस इंजीनियर्स इस टास्क का एक बड़ा पोर्शन हैंडल करते हैं। तो हम यह कह सकते हैं कि ऐसे एयरोस्पेस इंजीनियर, जिन रॉकेट्स और स्पेस क्राफ्ट बिल्डिंग में एक्स्पर्टटीज  हासिलउन्हें रॉकेट साइंटिस्ट कहा जाता है और एक रॉकेट साइंटिस्ट को रॉकेट से स्पेस क्राफ्ट सैटेलाइट्स एयर क्राफ्ट और डिफेन्स सिस्टम के कॉन्सेप्चुअल डिज़ाइनिंग कॉन्स्ट्रक्शन और टेस्टिंग के पूरे प्रोसेसर को लीड करना होता है और उन्हें डिजाइन के सभी आस्पेक्ट्स जैसे सेफ्टी कॉस्ट, फ्यूल एफिशिएंसी और इन्वाइरनमेंट पर पड़ने वाले इम्पैक्ट को ध्यान में रखते हुए रिसर्च करनी होती है।

 

 

रॉकेट साइंटिस्ट अपनी इंजीनीरिंग नॉलेज और साइंटिफिक प्रिन्सिपल्स का यूज़ करके वीइकल्स को डेवलप करते हैं और उनकी ड्यूटीज़ में शामिल होती है वेहिकल्स और सिस्टम्स की डिज़ाइनिंग प्रोजेक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग और फैब्रिकेशन को सूपर्वाइज़ करना स्पेस क्राफ्ट सिस्टम्स के लिए टेस्टिंग मेथड्स और क्वालिटी क्राइटिरिया डेवलप करना क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्शन्स के रिज़ल्ट को चेक करना।ऑडिटर्स के यूज़ के लिए वेहिकल्स और इक्विपमेंट रिलेटेड रिपोर्ट और हैंड बुक्स को डेवलप करना एट्सेटरा तो इतनी बड़ी रिस्पॉन्सिबिलिटी को पूरा करने के लिए एक रॉकेट साइंटिस्ट में कौन सी स्किल्स का होना जरूरी है |

 

इसके लिए आपको इस टेक्निकल फील्ड में एक्स्पर्टीज़ हासिल करनी होगी और उसके लिए आपको इन सारे स्किल्स पर कमांड  बनानी होगी। क्रिटिकल थिंकिंग इन लॉजिकल रीज़निंग डिसिशन मेकिंग सिस्टम्स, एनालिसिस  और वेल्यूशन नेगोशिएशन को ऑर्डिनेशन, गुड जजमेंट, लीडरशिप, टीम वर्क, फोकस ऑन डीटेल्स, क्लियर कम्युनिकेशन, स्ट्रेस, डॉलर और  ऑप्टिमिजमतो इन सारी स्किल्स पर आपको कमांड बनानी होगी और इसी के साथ आप जान लेते हैं |

 

 

 

 

रॉकेट साइंटिस्ट बनने की प्रोसीज़र क्या क्या है ?

 

 रॉकेट साइंटिस्ट बनने के लिए आप डायरेक्ट रॉकेट डिज़ाइनिंग और बिल्डिंग की प्लानिंग तो शुरू नहीं कर सकते क्योंकि पहले आपको स्पेस साइंस के हर एरिया के दो सबसे इम्पोर्टेन्ट डिसिप्लिन सयानी, फिज़िक्स और मैथमैटिक्स के बेसिक्स और फंडामेंटल कॉन्सेप्ट पर स्ट्रॉन्ग कमान बनानी होगी। इसके लिए आप क्लास टेंथ के बाद साइंस मैथ्स यानी पीसीएम की स्टडी कर सकते हैं। यानी आपका पहला स्टेप होगा क्लास 12 पी सी एम् सी क्लियर करना लेकिन बस इतना ही काफी नहीं होगा, बल्कि आपको क्लास 11 और 12 में फिज़िक्स और मैथमैटिक्स के बेसिक्स पर मजबूत पकड़ बना लेनी होगी और उसके साथ साथ क्लास ट्वेल्थ में अच्छा स्कोर भी बनाना होगा।

 

 

यानी 75% से ज्यादा उसके बाद आप एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री लीजिये। इसके लिए आपको जेईई एडवान्स्ड और जेईई मेंस के थ्रू बेस्ट इंजीनीरिंग कॉलेज में ऐडमिशन लेने की कोशिश करनी चाहिए ताकि आपकी आगे की राह ज्यादा आसान हो सके। इसलिए इस स्टेप पर आपको हार्ड वर्क करना ही होगा। इसके लिए इंडिया के कुछ बेहतरीन कॉलेजेस के नाम भी जान लीजिए जहा से आप एरोस्पेस इंजीनियरिंग कोर्स कर सकते हैं।आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी कानपुर, एमआईटी, मणिपाल यानी मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी आइआइएसटी, तिरुवनंतपुरम यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, चेन्नई यानी एस आर एम् इन्स्टिट्यूट ऑफ साइन्स एंड टेक्नोलॉजी एमआईटी यूनिवर्सिटी और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी।

 

 

तो अब आप अपने एफर्ट्स के दम पर ऐसे किसी बेस्ट कॉलेज में ऐडमिशन लीजिये।और वहाँ से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग या उससे रिलेटेड फील्ड में बैचलर डिग्री लीजिये ताकि रॉकेट साइंस फील्ड में करियर बनाने की मिनिमम रिक्वायरमेंट को आप फुलफिल कर सके और एरोस्पेस इंजीनियरिंग कोर्स को 4 साल में कंप्लीट करते हुए मिनिमम 65% स्कोर करें या 10 के स्केल पर 6.84 का सीजीपीए लाइए। ग्रैजुएशन के दौरान आपको रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग ऑपर्च्युनिटी जरूर से ग्रैप करनी चाहिए।यानी इंटर्नशिप पे अपना टाइम जरूर से इन्वेस्ट करना चाहिए ताकि आपको प्रैक्टिकल नॉलेज मिल सके और आप के लिए डिज़ाइरड इन्स्टिट्यूशन या ऑर्गेनाइजेशन में अपोइन्ट  होने के चान्सेस स्ट्रांग बन सके। बैचलर डिग्री के बाद आपको इसरो सेंट्रलाइज्ड रिक्रूटमेंट बोर्ड यानी की आइसीआरबी एग्जाम क्लियर करना होगा। ये एग्जाम क्लियर करने के बाद आप अगर शॉर्टलिस्टेड कैंडिडेट्स में शामिल हुए।रिटन टेस्ट और इंटरव्यू राउंड क्लियर करने के बाद आप इसरो को जॉइन कर पाएंगे और अगर आपने टॉप इंजीनिरिंग कॉलेज यानी आईआईएससी, आईआईटी, एनआईटी या आइआइएसटी से ग्रैजुएशन की होगी तो आपको परेफरेंस जरूर मिले गी और ऐसे स्टूडेंट जो आईएसडी का एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी स्टूडेंट होगा यानी एक्सेप्शनल ऐकैडेमिक रेकोर्ड लगता होगा, उसे इसरो मैं डायरेक्ट रिक्रूटमेंट मिलेगा।लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो अपनी नॉलेज और स्किल्स को साफ करने के लिए आपको मास्टर डिग्री लेनी चाहिए। यानी एरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री ले करके आप रॉकेट साइंस के बारे में और बेहतर नॉलेज गेन कर सकेंगे और उसके बाद अगर आप पीएचडी करे तो आपके लिए इसरो में साइंटिस्ट की पोस्ट पर रिक्रूट होने के चान्सेस भी बढ़ सकते हैं।

 

 

इसी तरह एजुकेशन  कंप्लीट करने के बाद नासा में भी रॉकेट साइंटिस्ट की पोज़ीशन पर अपॉइंट हुआ जा सकता है, जिसमें बैचलर डिग्री के अलावा मास्टर्स डिग्री भी शामिल हो और अगर ये एजुकेशन यूएसए से ली जाए तो फेवरेबल रिज़ल्ट शायद जल्दी ही मिल जाए। जैसे कि कैंट स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए से बी एस एरोस्पेस इंजीनियरिंग एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी यू एस एस बी एस इन एरोस्पेस इंजीनियरिंग राइट स्टेट यूनिवर्सिटी यूएसए से मास्टर ऑफ साइंस इन एयरोस्पेस सिस्टम इंजीनियरिंग और ओवन यूनिवर्सिटी यूएस से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की जाए और साथ में ट्रेनिंग और एक्सपिरियंस भी इन्क्लूड हो। वैसे आपको ये भी बता देते हैं कि इसरो में जूनियर लेवल साइंटिस्ट को मिलने वाली ऐन्युअल सैलरी 3,74,000 से  6,70,000 तक होती है।और सीनियर लेवल साइंटिस्ट को 6,70,000 से  9,30,000 तक सैलरी मिला करती है।

 

 

 सैलरी के अलावा साइअन्टिस्ट को ड़ीमेस  अलाउअन्स, ट्रैवल अलाउंस, हाउस रेंट अलाउंस, मेडिकल फैसिलिटीज़, प्रोविडेंट फंड और पेंशन जैसी अदर सुविधाएं भी मिलती है और नासा में एक रॉकेट साइंटिस्ट को मिलने वाली ऐवरेज ऐन्युअल सैलरी $77,173 हुआ करती है।

 

 Rocket scientist Kaise bane 

 

दोस्तों, इस लेख में आपको रॉकेट साइंटिस्ट बनने से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होगी | क्या रॉकेट साइंटिस्ट बनना आपके लिए परफेक्ट करियर ऑप्शन है और क्या आप इस पोज़ीशन तक पहुंचने के लिए इतने सारे एफर्ट्स करने को तैयार है। तो इसलिए रॉकेट साइंटिस्ट बनने के इस सफर पर चलने से पहले अच्छी तरह सोचिए समझिए और फिर आगे बढिए ताकि आपको प्रॉब्लम्स के बजाय प्रोग्रेस ज्यादा मिले और अगर इस  लेख से सम्बंधित कोई समस्या है तो हमें कमेन्ट बॉक्स में लिख करके जरूर बतायें |

 धन्यवाद।

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